Rajani katare

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करिया मोड़ी भाग ---- 11

                     "करिया मौड़ी"  अंतिम भाग-11

पिछला भाग:--
अब ठीक है....बोलो मम्मी क्या बोल रहीं थीं....अरे
बेटा दोपहर में कोरियर वाला आया था....वो एक लिफ़ाफा देकर गया है....ये लो लिफ़ाफा......

अब आगे:--
लिफ़ाफा लेकर श्री... उसके ऊपर अपना नाम लिखा देखती है....और लिफ़ाफा खोल कर पढ़ती है.... श्री के पापा मम्मी भी वहीं खड़े.... श्री के चेहरे-मोहरे के बदलते भावों को... देख कर बोलते हैं....कुछ बतायेगी भी....क्या लिखा है इसमें....बताती हूँ न.....पूरा तो पढ़ने दो......

हिफ हिफ हुररे....हिफ हिफ हुररे वा वा....कहती हुयी मम्मी के गले लग कर.... झूम झूम जाती है.....
अरे बता तो सही....बात क्या है...?
मम्मी....गा गा गाकर....मेरा तो अब होगा सपना पूरा.
मेरा अब सपना होगा पूरा....जो मैंने देखा था..... 
खुशी में खूब झूमती...नाचती जाती है....

अरे बता न श्री!! क्या बात है...? क्या लिखा है इस
लेटर में ऐसा....? जो तू इतना खुश हो रही है....
बता बेटा.... मम्मी परेशान हो रही है....क्यों सता रही 
है मम्मी को.....!!!

पापा मम्मी सुनो सुनो.....गौर फ़रमाइये...बड़े अदब
से हाथ के इशारे से....अपनी ओर करते हुये....
आपकी ये बेटी का सपना....अब पूरा होने जा रहा है....मैंने जो इंडस्ट्री लोन के लिए एप्लाई करा था...
वो...सैंग्शन हो गया है.....वा वा...मजा आ गया....
पापा!! एक टैक्सटाइल इंडस्ट्री बंद पड़ी थी....कबसे
मैंने!! उनसे बात करी....काफ़ी दिन से हमारी बात चल रही थी....उनकी तरफ़ से तो हरी झंडी मिल गयी थी....पर समस्या थी....पैसे की....लागत....
इतना पैसा कहाँ से आये.......

मैंने सोचा!! जब मुझे हरी झंडी मिलेगी.....तभी आप सबको बताऊंगी.... वैसे मम्मी!! आपसे मैंने एक बार 
बात करी थी....ध्यान करो...अपने किसी दोस्त के लिए 
वो इंडस्ट्री खोलना चाह रहा है....पर उसके पास...
इतना पैसा नहीं है....तब आपने...क्या बोला था....
याद करो!! 
उसको पहले इंडस्ट्री में सर्विस कर लेना चाहिए...
मैंने बोला....उसको सर्विस नहीं करनी...वो खुद का 
काम करना चाहता है...बस दिक्कत वही है पैसों की....
तो बेटा इंडस्ट्री के लिए तो फायनेंस हो जाता है बैंक से... बस फार्मलिटीज़ पूरी करनी होती हैं...
और एक रास्ता ओर भी है...यदि कोई फ़ाईनेंसर मिल जाये....ये भी हो सकता है.... उससे कहो....
पहले बैंक जाकर पता करे सब....हाँ एक बात ओर
यदि वो अपनी माँ... पत्नी या बहिन के नाम से लेगा
तो...सरलता से लोन मिल जायेगा....आज कल...
महिलाओं के लिए.... बहुत सी योजनाएं चल रहीं हैं.... बेटा एक बात तो है....यदि वास्तव में वो सीरियस है 
काम के लिए....तो "कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती"....बस फिर क्या था!! मुझे तो राह मिल गयी...फिर मैं जुट गयी.....आपके बताये फार्मुले को....
अमली जामा पहनाने में....आपने कहा था.....

"कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती"

मम्मी बस इसको मैंने अपने दिमाग में बिठा लिया...
अब नतीजा आपके सामने है....
कल मैं फटाफट तैयार होकर...सबसे पहले बैंक जाऊंगी.... वो पापा के दोस्त हैं न....रवि अंकल
वो तो वकील हैं...उनसे मेरी सब बात हो गयी थी...
उनसे मैंने बोला था.... पापा को कुछ नहीं बताना आप....पापा मम्मी को सरप्राइज देंगे....
उन्होंने मेरा बहुत साथ दिया....पूरे दस्तावेज भी...
तैयार हैं...बस अब लोन मिलने की भर देरी है.....

दूसरे दिन सुबह....श्री जल्दी उठ गयी...अपने नित्यकर्म 
से निवृत्त होकर....नीचे आ गयी...अरे आज इतनी जल्दी उठ गयी तू.... मम्मी आज तो नींद ही... अच्छे से नहीं आयी....बस दिमाग में यही सब घूम रहा था...कब सुबह हो...?कब बैंक का समय हो...? कब जल्दी से बैंक जाऊँ
मैं...? सो नींद ही न लगे!!
चल कोई बात नहीं....सब अच्छा ही होगा...देख तेरा सब काम अच्छे से हो गया न... ईश्वर भी तेरे साथ हैं बेटा.... 
मैं चाय बना रही हूँ...तू पियेगी...?
हाँ बना लो.... मैं आई अभी कहकर...ऊपर चली
जाती है.... नहा-धोकर...नीचे आ जाती है.....

मम्मी!! अरे तू नहाकर भी आ गयी....अरे वा मेरी 
गुड़िया रानी....ले चाय पी ले... मम्मी आप भी...
न बेटा.... मैं पहले पूजा पाठ कर लूं... फ़िर चाय
पियूंगी...चाय पीकर...मम्मी के पास बैठ जाती है...
हाथ जोड़ कर.... मम्मी पूजा करके... भगवान का
टीका...श्री को लगा कर...आशीष देती हैं.....

घूमते घामते...रवि अंकल आ जाते हैं....पापा...रवि अंकल आये हैं.... बहुत छुपे रुस्तम निकले बच्चू....
टहलने निकलता है तो....रोज घर आता है...
पर मजाल है.... जो हम लोगों को हवा भी लगी हो... चुपके-चुपके बिटिया का साथ देता रहा....
दोस्त मेरा है....और मुझको भी नहीं बताया तूने...
अरे तेरा तो दोस्त हूँ न....ये तो मेरी बिटिया है...
इसका कैसे न साथ देता....छोड़ ये सब......
भाभी जी...आज चाय मिलेगी कि नहीं...
ला रही हूँ भैया....चाय तो बन भी गयी......

समय हो रहा है बेटा.... तैयार हो जा....अंकल लोन के लिए आज बैंक जाना है...आप चल रहे हो न....हाँ हाँ 
बेटा अभी आया तैयार होकर....श्री भी ऊपर जाकर 
तैयार होने लगती है....बेटा थोड़ा सा कुछ खा ले... 
फिर जाना....ये ले तेरी पसंद का इन्दौरी पोहा.....
तब तक रवि भी आ गया अपनी गाड़ी लेकर....
श्री पापा से....चलो पापा....एक मिनट रुक...
पहले ये एक चम्मच दही शक्कर...खाकर जा.....
अच्छे काम के लिए जो जा रही है...ऐ पाँव पड़े
भगवान के....हाँ पहले ही पड़ लिए......

सारे दस्तावेज पहले ही रख लिये थे श्री ने...सो बैंक में कोई परेशानी नहीं हुयी...रवि अंकल का साथ जो था... उन्होंने समस्त दस्तावेज तैयार कर रखे थे...सो बैंक से चेक भी मिल गया...चेक लेकर अधिकारी पान्डे जी का धन्यवाद करा श्री ने....वहीं बैंक में झटसे.. रवि अंकल 
और पापा के पाँव पड़े......

रास्ते से मिठाई लेते हुये घर पहुंँचे....ये लो पहले भगवान को भोग लगा कर...... सबको मिठाई खिलाओ....आज बहुत बड़ा काम हो गया.....चेक मिल गया है श्री को... 
श्री दौड़ कर मम्मी के गले लग जाती है....फिर भगवान 
के पाँव पड़ कर मम्मी के भी पाँव पड़ती है......

सुनो हम लोग वो इंडस्ट्री के मालिक शर्मा जी के घर जा रहें हैं....उनसे बात पहले ही हो चुकी है...उन्हें चेक देकर... समस्त दस्तावेजों पर... हस्ताक्षर होने है......

आइये आइये भाग्यश्री जी... मैं आप ही का इन्तजार 
कर रहा था... इनसे मिलिए....ये मेरी इंडस्ट्री के वकील करसौलिया जी हैं.... मैंने समस्त पेपर तैयार करवा लिए हैं....आप देख लें इत्मिनान से....रवि समस्त पेपर चेक करता है...संतुष्ट होकर हाँ बेटा अब आप लोग हस्ताक्षर करें.....हस्ताक्षर होते ही....शर्मा जी... सबसे पहले भाग्यश्री को बधाई देते हैं....बेटा मेरी तो एक बेटी है 
जो शादी होकर...अपने पति के साथ विदेश में रहती है....आज मुझे एक ओर बेटी मिल गयी....मुझे गर्व है 
तुम पर.... मैंने सही हाथों में कमान सौंपी है... 
फिर सभी को बधाई देते हैं....आप सभी के सहयोग 
से ही आज ये सम्भव हो पाया है...लछमन मिठाई खिला भाई सबको.....सबसे पहले हमारी बिटिया को.....

सप्ताह भर कैसे निकल गया....समस्त तैयारियों में
इंडस्ट्री की साफ़ सफाई...सजावट.... निमंत्रण पत्र
भेजने का.... सबसे बड़ा काम था....रुद्र और उसके
साथियों ने मिलकर.... सब काम सम्हाल लिए....हांँ
शर्मा जी को कार्ड देने..... श्री और उसके पापा खुद
गये....उनके पुराने समस्त.... काम वालों को भी 
बुलाया गया....और हाँ अंकल!!  आपको मेरी मदद
भी करनी पड़ेगी....आपकी सलाह से ही मुझे काम
करना होगा....हाँ हाँ बेटा... बिल्कुल बेटी जो मान
लिया है मैंने......

आज श्री के घर में बहुत चहल पहल है...सभी नाते... रिश्तेदार....मेहमान आ चुके हैं.... शाम को इंडस्ट्री 
का शुभारम्भ जो होना है....

शाम को इंडस्ट्री पहुँचते हैं सभी....सुंदर साज सज्जा... इंडस्ट्री.... रंगीन बल्वों से जगमगा रही हैं...सुंदर ताजे फूलों की सजावट देखते ही बनती है....बाहर गाड़ियां 
ही गाड़ियां नज़र आ रहीं हैं....
लोग बातें कर रहें हैं.... कोई महिला ने ली है इंडस्ट्री
बहुत जोर शोर से ओपनिंग हो रही है....अब अभी ये 
नहीं पता है ओपनिंग किसके हाथों होना है.....
सभी लोग आ चुके हैं बस ओपनिंग होने ही वाली
है....अरे ये क्या...? देख देख एनाउंस हो रहा है...
भाग्यश्री टेक्सटाइल इंडस्ट्री की मालकिन.... भाग्यश्री 
जी की माता श्री जी के कर कमलों द्वारा... शुभारम्भ...
दीप प्रज्वलित कर.... किया जा रहा है....दीप के 
प्रज्वलन के साथ ही तालियों की गड़गड़ाहट....
दूसरे दिन समाचार पत्र की सुर्खियां.....
शुभारम्भ भाग्यश्री इंडस्ट्री का....आज की ताजा खबर...एक साधारण महिला के हाथों शुभारम्भ...
    :::--🌹भाग्यश्री टेक्सटाइल इंडस्ट्री🌹--:::

    कहानीकार-रजनी कटारे
          जबलपुर (म.प्र.)

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